Monday, August 24, 2009

अंग्रेज़ी में शेर लिखा ....तो हिन्दी भी ज़रूरी है :P

काम के नशे में......ये कहाँ पे चढ़ गया....
यारों से बिछड़ गया......मै अकेला पड़ गया

चाय पे वो बकर मारना.....ताश में जो जीतना हारना..
वक्त चलते चलते रुक गया....मै बेवजह ही ठुक गया

2 comments:

Nikesh Rathi said...

that was quite touching.

a nice stroll down the nostalgia lane, and a crude reminder that that would not come again.

MATMANIAC said...

dimaag ka haal likha hai :)